माँ दूसरा रओप ह खुदा का जमीं पर,
माँ देती ह बचो को सब,
अपने मुह का निवाला चिन कर,
खुद सोती ह कांटों पर,
बचे की राह मे फूल बीखेर कर.
माँ होना कीतना मुश्किल ह अब ये जाना ह मैने,
माँ को बहुत सत्य अब सम्जा ह मैने,
की कैसे कैसे वो हर काम कीया करती थी,
ओर खुद गीले बिस्तेर मे सो कर,
हमको सूखे मे सुलाया करती थी.
कैसे हमारे नाज उठाया करती थी,
वो माँ है जो अब भी मेरे साथ ह,
साथ हर वक्त उसका अहसास ह,
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