Sunday, April 15

parchaiin

हवा सर्द होती ह
अहसास जाग उठते ह,
ओर गम साथ चलता ह,
parchaii की तरह,

हम अकेली राहों पर,
चुप चाप से चलते ह,
दील खोने का गम ले,
मुर्दे के तरह,

रात का सन्नाटा ह,
हवा साय चलती ह,
दील को चीर जति ह,
कांटे की तरह.

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