कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Tuesday, July 10
मेरी रूह मै समां गया कोई, आज बहार बन के छा गया कोई, जहाँ जहाँ कदम हम रखते ह, उस हर मोड़ पर, फूल बिखरा गया कोई, मेरी रूह मै समां गया कोई यादो की खिड़की खोल रखी थी मैने, उसमे झोंका हवा का बहा गया कोई
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