कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Monday, September 3
मै भी इंतजार मे हू के, किस दिन मेरी जिन्दगी दर्द के समंदर से नहा कर निकलेगी उस दिन मे भी खुद को इस बेपनाह दर्द से बाहर पर कर अपनी वास्तविक खूबसूरती को देख सकूंगी.
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