ना पूछो मुझसे कोई,
की सजल क्यों ह नयन ये
इन सजल नैनों ने
बहुत से सावन देख लिए
पर एक भी बदली मेरे,
अंतर्मन को भिगो ना पायी
मै क्या करू उस सावन क
जो मेरी प्यास की तड़प ओर बड़ा दे
मै क्या करू उस निर्मोही मन का
जो अब तक मेरे नेह मै भीगा ही नही
नेह के गगन पर एक तारा भी मेरा नही
अँधेरे ह काले क्यों
मेरा प्यार मेरा नही?
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