कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Friday, September 14
उसका मेरा रिश्ता
उसका मेरा रिश्ता पुराना ह , पुरानी शराब की तरह मगर, अभी तक क्यों इसमे सुरूर आया नही? उसका मेरा रिश्ता रस्मो से सजा हुआ लिपटा हुआ श्वेत चादर मे मगर, फीर क्यों इसमे से महक कोई अति नही ह?
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