कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Saturday, September 22
एक बेनाम सा रिश्ता , जो हर पल मुझे ख़ुशी देता ह दुःख ह की वो मेरा अपना क्यों नहीं ?
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