कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Friday, October 26
तुम दिल बनके dhadka करते हो दिल मे, तुम याद बनके महका करते हो दिल मे जीस दिन ये दिल टूट जाएगा, उस दिन भी बहोगे दिल मे खून बनके
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