मैं कई बार सोचती हूँ की मजबूरियां इंसान को मजबूर कर देती है , की उसे दिन
की बजाय रात अनोखी लगती है,शैतान आज भी भगवन से ज्यादा ताकत वर है, क्युकी
वो लोगो को वो सुख सुविधा देता है जो भगवान नहीं दे सकता , अगर ये सृष्टि
प्रभु ने बनायीं है तो उसने सुख सुविधा का मोह भी इंसान में पैदा किया है!
वो जीता है रात की रंगीनियों मैं मगर उसके अन्दर का अहसास उसे बार बार याद
दिलाता है और कचोटता ह की दिन तुझसे आंख नहीं मिलाता , इसलिए हर आदमी
दिन से ये ही सवाल करता है :
ए दिन तूने क्यों आंखे मीच ली मुझे देख कर,
रात खुशनुमा थी तो तुझे क्यों दुःख है?
तू बड़े दावे करता है दूसरो को रौशनी देने के,
जब रात तुझसे हसीं है तो जलता क्यों है ?
जब मेरे घर मैं भूख थी और गरीबी थी ,
तू क्यों तूने मेरे फटे वस्त्रो को उजागर किया ?
जब रात ने ढक दिए मेरे दाग तो ,
अब मैं बन गया उसका पुजारी तो क्या ग़म है ?
तू बस नाम से है रोशन है , तेरी रौशनी आँखों में चुभती है,
रात को देख कितनी खूबसूरत जगमगाहट है ,
जब हजारो सितारे और चाँद शीतलता बिखेरे है
तो मुझे क्या दुःख है ?
बस तू तो एक झूठा अहसास है ,
वरना तेरा सूरज दिन भर जलता है,
तू जा दिन मुझे अब तेरी जरूरत नहीं,
मेरी रात रंगीन है, मुझे ये सुख है !
ए दिन तूने क्यों आंखे मीच ली मुझे देख कर,
रात खुशनुमा थी तो तुझे क्यों दुःख है?
तू बड़े दावे करता है दूसरो को रौशनी देने के,
जब रात तुझसे हसीं है तो जलता क्यों है ?
जब मेरे घर मैं भूख थी और गरीबी थी ,
तू क्यों तूने मेरे फटे वस्त्रो को उजागर किया ?
जब रात ने ढक दिए मेरे दाग तो ,
अब मैं बन गया उसका पुजारी तो क्या ग़म है ?
तू बस नाम से है रोशन है , तेरी रौशनी आँखों में चुभती है,
रात को देख कितनी खूबसूरत जगमगाहट है ,
जब हजारो सितारे और चाँद शीतलता बिखेरे है
तो मुझे क्या दुःख है ?
बस तू तो एक झूठा अहसास है ,
वरना तेरा सूरज दिन भर जलता है,
तू जा दिन मुझे अब तेरी जरूरत नहीं,
मेरी रात रंगीन है, मुझे ये सुख है !
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