मैं प्रंतिबध हूँ एक अछी शिक्षा देने के लिए
मै प्रतिबद्ध हूँ समाज को सही राह चलाने के लिए
मैं उन नियमो को नहीं मानती जो समाज के कुछ लोगो ने
बनाये ह अपनी ज्रुरुरत के लिए,केवल दिखावे के लिए,
कुछ ठेकेदार समाज के खुद ही उन नियमो को तोड़ते ह,
जीन्हे वो लोगो का मार्गदर्शक कहते हैं,
मॆं प्रतिबद्ध हूँ समाज को सचाई से वाकिफ करने के लिए
मॆं प्रतिबद्ध हूँ जो कहती हूँ, कर दिखने के लिए.
1 comment:
श्वेता जी:
हिंदी में लिखिए, तो बहुत अच्छा लगेगा. आंगल भाषा में हिंदी कविता पढना दुष्कर कार्य है.
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